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ToggleOn-Page SEO क्या है? (On-Page Optimization का मतलब in Hindi
On-Page SEO का मतलब है आपकी वेबसाइट के उस हिस्से को बेहतर बनाना जो आपके कंट्रोल में होता है। इसमें title tag, meta description, headings, URL, images और content जैसी चीज़ें शामिल होती हैं।
जब आप इन सबको सही तरीके से सेट करते हैं, तो Google को आसानी से समझ आता है कि आपका पेज किस बारे में है। और जब Google को चीज़ें क्लियर दिखती हैं, तो आपकी वेबसाइट को अच्छे keywords पर rank मिलने के चांस बढ़ जाते हैं।
जैसे किसी दुकान के बाहर की नेमप्लेट, अंदर की सजावट और प्रॉडक्ट की presentation ग्राहक को आकर्षित करती है — वैसे ही On-Page SEO Google और visitors — दोनों को आपकी साइट की वैल्यू दिखाने में मदद करता है।
अगर आप चाहते हैं कि आपकी वेबसाइट सर्च में ऊपर दिखे और लोग उस पर रुकें भी, तो On-Page Optimization को seriously लेना बहुत ज़रूरी है। यही आपकी SEO strategy की सबसे मजबूत नींव है।
अगर आप बिल्कुल शुरुआत से समझना चाहते हैं कि SEO क्या होता है और ये वेबसाइट की visibility के लिए क्यों ज़रूरी है, तो हमारी SEO क्या है? गाइड ज़रूर पढ़ें।
On-Page SEO का मकसद और उसका महत्व क्या है?
On-Page SEO का मकसद है आपकी वेबसाइट को इस तरह तैयार करना कि:
Google और दूसरे सर्च इंजन आसानी से समझ सकें कि आपका पेज किस बारे में है,
और साथ ही, Visitors को ऐसा कंटेंट मिले जो उनके लिए काम का हो, पढ़ने में आसान हो और भरोसेमंद लगे।
यानी पेज ना सिर्फ सर्च इंजन को पसंद आए, बल्कि यूज़र भी कहे — हाँ, यही मुझे चाहिए था।
SEO में इसका क्या मतलब और महत्व है?
- Google ये साफ़ कहता है कि किसी भी वेबसाइट की रैंकिंग सिर्फ backlinks से तय नहीं होती — बल्कि ये भी देखा जाता है कि आपका पेज अंदर से कितना साफ़, सही ढंग से बना हुआ और यूज़र के लिए वाकई फायदेमंद है।
- अगर आप सिर्फ backlinks बनाने में लगे रहे लेकिन अपने पेज की structure, headings और keywords का सही इस्तेमाल नहीं किया — तो रैंकिंग आ भी जाए, टिकेगी नहीं।
रैंकिंग की शुरुआत वहीं से होती है जहाँ आप On-Page SEO को सही ढंग से अपनाते हैं — यही उसकी नींव है।
यही वो तरीका है जिससे आप Google को साफ़-साफ़ बताते हैं कि आपका पेज किस टॉपिक पर है और उसे सर्च रिज़ल्ट में ऊपर क्यों दिखाया जाना चाहिए।
On-Page SEO कैसे करें? (Step-by-Step तरीका)
On-Page SEO करने का मतलब है अपनी वेबसाइट के हर उस हिस्से को सुधारना जिसे यूज़र और Google दोनों सीधे देख और समझ सकते हैं। इसमें टाइटल टैग, मेटा डिस्क्रिप्शन, हेडिंग्स, कंटेंट की बनावट, इमेजेस और पेज स्पीड जैसी चीज़ें शामिल होती हैं।
नीचे हमने एक-एक करके वो सारे ज़रूरी स्टेप्स बताए हैं, जिन्हें फॉलो करके आप अपने पेज को सही तरीके से ऑप्टिमाइज़ कर सकते हैं।
इससे पहले कि हम On-Page SEO के steps में जाएँ, यह समझना ज़रूरी है कि Search Engine कैसे काम करता है — तभी आपको हर optimization element का असली असर समझ में आएगा।
1. Title Tag को कैसे Optimize करें (Title Tag Optimization in Hindi)
टाइटल टैग क्या होता है?
टाइटल टैग वह HTML एलिमेंट होता है जो किसी वेबपेज का मुख्य शीर्षक दर्शाता है। यही वह टेक्स्ट है जो Google सर्च रिज़ल्ट में नीले लिंक के रूप में दिखता है — और यहीं से यूज़र तय करता है कि उसे उस पेज पर क्लिक करना है या नहीं।
अनुप्रयोग से समझिए: जैसे किसी किताब का कवर या अख़बार की हेडलाइन – अगर वह रोचक और स्पष्ट है, तो लोग पढ़ना चाहेंगे। वैसे ही, एक बेहतरीन टाइटल टैग क्लिक बढ़ाने का पहला ज़रिया बनता है।
Title Tag SEO के लिए क्यों ज़रूरी है?
- यह Google को बताता है कि आपका पेज किस बारे में है।
- SERP में दिखाई देने वाला यही हिस्सा CTR (Click-Through Rate) बढ़ाता है।
- एक अच्छा Title टैग SEO रैंकिंग और यूज़र एंगेजमेंट दोनों को बढ़ा सकता है।
Title Tag Optimization के 5 ज़रूरी नियम:
50–60 characters के अंदर ही रखें — ताकि Google सर्च रिज़ल्ट में कट न जाए और पूरा दिखे।
Main keyword की शुरुआत में इस्तेमाल करें — जैसे:
"On-Page SEO Tips in Hindi 2025"
इससे Google और यूज़र दोनों को तुरंत समझ आता है कि टॉपिक क्या है।हर पेज का title अलग और साफ़ हो — कुछ नया और साफ़-सुथरा, ताकि हर पेज की पहचान बनी रहे।
ज़रूरत लगे तो अपने brand का नाम अंत में जोड़ें — जैसे:
"On-Page SEO क्या है? – Shivam Kumar Gupta"
इससे branding और trust दोनों बनते हैं।Clickbait टाइप title से बचें — लेकिन ऐसा जरूर लिखें जिससे curiosity जगे और लोग क्लिक करने को मजबूर हों।
उदाहरण:
खराब टाइटल: “SEO सीखिए”
(बहुत सामान्य, vague और किसी खास टॉपिक पर फोकस नहीं करता)
अच्छा टाइटल: “On-Page SEO क्या है और कैसे करें? 2025 की पूरी गाइड (Hindi)”
(स्पष्ट, कीवर्ड-फोकस्ड, यूज़र की सर्च intent को पूरा करता है)
Suggested Tools:
Yoast SEO – यह WordPress plugin आपको live feedback देता है कि आपका title कितना लंबा है, उसमें keyword सही जगह है या नहीं, और SEO के हिसाब से कैसा है।
SERP Simulator – ये Tool दिखाता है कि आपका पेज Google सर्च में कैसे दिखाई देगा — यानी Title, URL और Meta Description असल में कैसा दिखेगा।
2. H1 से लेकर H6 तक Headings का सही उपयोग कैसे करें
Headings Tags क्या होते हैं?
HTML में headings को H1 से लेकर H6 तक टैग किया जाता है। इनका उपयोग कंटेंट को section में बाँटने, hierarchy दिखाने, और Google को यह बताने के लिए किया जाता है कि आपका पेज किन मुख्य-बिंदुओं पर आधारित है।
तुलना से समझें: जैसे किसी किताब में बड़ी हेडलाइन (अध्याय), उप-शीर्षक (अनुच्छेद), और छोटे टॉपिक्स होते हैं – वैसे ही headings वेबसाइट कंटेंट को संगठनात्मक और पढ़ने योग्य बनाते हैं।
SEO में Headings का महत्व
- Headings से Google को पता चलता है कि आपका पेज किस बारे में है और किस विषय को अधिक प्राथमिकता दी गई है।
- वे स्कैनिंग में यूज़र को मदद करते हैं, खासकर मोबाइल पर पढ़ने में।
- अच्छी heading hierarchy से Google snippets और People Also Ask (PAA) में दिखने के चांस बढ़ते हैं।
Headings Optimization के 6 बेहतरीन Tips:
- हर पेज पर सिर्फ एक H1 टैग रखें, जो पेज का टॉपिक साफ़-साफ़ बताए।
- H1 में आपका main keyword जरूर होना चाहिए, जैसे — “On-Page SEO क्या है?”
- H2 टैग का इस्तेमाल पेज के बड़े-बड़े सेक्शनों के लिए करें।
- H3 और H4 टैग H2 के अंदर आने वाले छोटे पॉइंट्स या लिस्ट्स को अच्छे से organize करने के लिए इस्तेमाल करें।
- Headings में ज़बरदस्ती कीवर्ड न भरें — जो लिखा जाए वो natural और पढ़ने लायक लगे।
- हर heading यूज़र के काम की होनी चाहिए — ऐसी नहीं जो सिर्फ ध्यान खींचने के लिए बनाई गई हो (Clickbait से बचें)।
उदाहरण Structure:
H1: On-Page SEO क्या है?
└── H2: Title Tag को कैसे Optimize करें
└── H3: Title Length और Placement
└── H2: Meta Description कैसे लिखें
└── H2: Headings Structure का सही उपयोग
Suggested Tools:
- Google Docs Outline View: Heading structure सही बना है या नहीं, यह जांचने के लिए।
- Yoast SEO / RankMath: Missing H1, multiple H1, heading keywords आदि की त्रुटियों को identify करता है।
3. Keywords और उनका Natural Placement कैसे करें
Keywords क्या होते हैं और क्यों ज़रूरी हैं?
Keywords वे शब्द या वाक्यांश होते हैं जिन्हें लोग Google पर टाइप करके जानकारी खोजते हैं।
अगर आप अपने कंटेंट में सही कीवर्ड्स का उपयोग करते हैं, तो Google आपकी वेबसाइट को उन ही queries के लिए रैंक करना शुरू कर देता है।
तुलना से समझिए: Keywords आपकी वेबसाइट के लिए GPS की तरह हैं — अगर आपने सही शब्द चुने और सही जगह लगाए, तो Google बिना भटके यूज़र को आपके पेज तक पहुँचा देगा।
SEO में Keyword Placement क्यों महत्वपूर्ण है?
- यह बताता है कि पेज का केंद्र-विषय क्या है।
- सही placement से Google और यूज़र दोनों को clarity मिलती है।
- यह आपकी visibility और CTR दोनों बढ़ा सकता है।
Keywords इस्तेमाल करने के 7 नियम (Natural Way में):
Main कीवर्ड को H1, Meta Title, Meta Description, पहले पैराग्राफ और कम से कम एक H2 में ज़रूर शामिल करें।
कीवर्ड के पर्यायवाची (Synonyms) और LSI वर्ज़न जैसे “On-Page Optimization” या “SEO Techniques in Hindi” को भी मिक्स करें।
शुरुआत के 100 शब्दों में main कीवर्ड एक बार ज़रूर होना चाहिए।
हर 150–200 शब्दों में 1–2 बार कीवर्ड डालें, लेकिन इस तरह कि पढ़ते वक्त सब कुछ नेचुरल लगे।
कीवर्ड की भाषा आम बोलचाल जैसी होनी चाहिए — ऐसा न लगे कि कंटेंट अनुवाद किया हुआ या रटाया हुआ है।
Subheadings में सवालों के फॉर्म में कीवर्ड इस्तेमाल करें, जैसे: “Title Tag SEO के लिए कैसे Optimize करें?”
Keyword Stuffing से बचें — एक ही कीवर्ड बार-बार जबरदस्ती डालने से बचें — इससे Google को लगेगा कि आप कंटेंट को फालतू optimize कर रहे हैं।
उदाहरण (Natural & समझने लायक):
“On-Page SEO क्या है और इसे 2025 में कैसे बेहतर तरीके से करें?”: Keyword सही जगह इस्तेमाल हुआ है, भाषा नेचुरल है, और यूज़र को स्पष्ट जानकारी मिलती है।
गलत इस्तेमाल (Keyword Stuffing का उदाहरण): “On-Page SEO एक On-Page SEO तरीका है जिसे On-Page SEO करने के लिए On-Page SEO कहा जाता है।”
एक ही कीवर्ड को बार-बार दोहराया गया है — न तो पढ़ने में अच्छा लगता है, न ही Google को पसंद आएगा।
कीवर्ड रिसर्च और कंटेंट ऑप्टिमाइज़ेशन के लिए ज़रूरी टूल्स:
Google Keyword Planner – हिंदी में कौन-से कीवर्ड कितनी बार सर्च किए जा रहे हैं, ये जानने के लिए सबसे भरोसेमंद फ्री टूल।
Ubersuggest / Semrush (Hindi Filters के साथ) – LSI कीवर्ड्स, long-tail queries और कंटेंट आइडियाज़ ढूँढने के लिए बेहतरीन।
Yoast SEO / RankMath (WordPress Plugins) – यह बताता है कि आपका कीवर्ड कहां इस्तेमाल हुआ है, density सही है या नहीं, और पढ़ने में कितना आसान है।
4. SEO-Friendly URL Structure कैसे बनाएं
SEO-Friendly URL क्या होता है?
SEO-Friendly URL का मतलब है ऐसा वेब लिंक जो छोटा हो, साफ़-सुथरा हो और जिसमें आपका कीवर्ड भी शामिल हो — ताकि Google उसे आसानी से समझ सके और यूज़र को भी याद रखने में दिक्कत न हो।
तुलना से समझिए: जैसे अगर किसी दुकान का पता सीधा-सपाट हो — “बाजार रोड, मंदिर के पास” — तो कोई भी वहाँ जल्दी पहुँच जाएगा। उसी तरह, एक साफ़ URL Google को भी आपके पेज तक जल्दी और सही तरीके से पहुँचने में मदद करता है।
URL Optimization क्यों ज़रूरी है?
- यह Google को बताता है कि पेज किस टॉपिक से जुड़ा है।
- यूज़र जब लिंक शेयर करता है तो विश्वसनीयता बढ़ती है।
- Clean URL, better UX और higher CTR में भी योगदान देता है।
SEO-Friendly URLs बनाने के 6 Smart Tips:
- URL छोटा और readable रखें — 4–5 शब्दों से ज़्यादा न हो
- कीवर्ड जरूर शामिल करें — जैसे /on-page-seo-kya-hai
- हाइफ़न (-) का प्रयोग करें शब्दों को अलग करने के लिए, न कि underscores (_)
- Special characters, stop words या UTM clutter से बचें
- Lowercase letters का उपयोग करें — uppercase से canonical issues हो सकते हैं
- हर URL ऐसा होना चाहिए जिससे साफ़ पता चले कि पेज किस बारे में है। जैसे
/on-page-seo-kya-hai
एक अच्छा URL है, लेकिन/post123?id=xyz
जैसे vague और बे मतलब URLs से बचना चाहिए — इससे न Google को कुछ समझ आता है, न यूज़र को।
उदाहरण:
गलत URL | सही URL |
/article123.php?id=8752 | /on-page-seo-kya-hai |
/seo-guide-hindi-2025#top | /seo-guide-2025-hindi |
URL Optimization के लिए Suggested Tools:
WordPress Slug Editor – जब आप पोस्ट लिखते हैं, तो उसका URL (slug) manually छोटा, साफ़ और कीवर्ड वाला बना सकते हैं।
Ahrefs / Screaming Frog – पूरी वेबसाइट का URL structure स्कैन करके बताते हैं कि कौन-से लिंक ठीक हैं और कहाँ सुधार की ज़रूरत है।
Google Search Console – ये दिखाता है कि आपके कौन-से URLs Google में सही से index हो रहे हैं और किसमें कोई crawl issue है।
5. Alt Text और Image Optimization क्यों ज़रूरी है
Alt Text और Image Optimization का क्या मतलब है?
जब आप अपनी वेबसाइट पर कोई इमेज लगाते हैं, तो Google उसे सीधे “देख” नहीं सकता। उसे ये समझाने के लिए आपको Alt Text देना पड़ता है — यानी एक छोटा सा टेक्स्ट जो बताता है कि उस इमेज में क्या है।
तुलना से समझिए: जैसे किसी फोटो के नीचे Caption होता है जो तस्वीर की जानकारी देता है — वैसे ही Alt Text Google को बताता है कि इमेज में क्या दिख रहा है। अगर आप ये नहीं देंगे, तो Google उस इमेज को नजरअंदाज़ कर सकता है।
Image Optimization का मतलब है कि आपकी इमेज फाइल का साइज, फॉर्मेट (जैसे WebP या JPEG), और टेक्निकल टैग्स इस तरह से सेट हों कि वो जल्दी लोड हो, मोबाइल पर सही दिखे और आपकी साइट की स्पीड को भी खराब न करे।
SEO और UX में Alt Text और Image Optimization का क्या रोल है?
Alt Text की मदद से आपकी इमेज Google Images और Web Search में भी रैंक कर सकती है।
ये Accessibility बढ़ाता है — मतलब जो यूज़र visually impaired हैं, उनके लिए screen reader इमेज को समझा सकता है।
अगर इमेज का साइज सही से compress किया गया हो और फॉर्मेट optimized हो, तो आपकी वेबसाइट तेज़ लोड होती है और Core Web Vitals में भी सुधार आता है।
मोबाइल पर यूज़र को तेज़ और साफ visuals दिखते हैं, जिससे उनका experience बेहतर होता है और वो साइट पर ज़्यादा समय बिताते हैं।
Alt Text और Image Optimization के 6 Best Practices:
हर ज़रूरी इमेज में ऐसा Alt Text लिखें जो स्पष्ट और उस इमेज से जुड़ा हुआ हो — सिर्फ “image” जैसा कुछ न लिखें।
Alt Text में main keyword या उससे जुड़ा कोई phrase ज़रूर डालें — लेकिन overuse न करें।
कोशिश करें कि Alt Text 100 characters से छोटा और एकदम साफ़ हो।
अगर कोई इमेज सिर्फ सजावट (decorative) के लिए है, तो उसमें
alt=""
रखें ताकि screen readers उसे skip कर सकें।इमेज का साइज compress करें ताकि पेज तेज़ी से लोड हो — WebP या हल्का JPEG फॉर्मेट बेहतर होता है।
इमेज का फाइल नाम भी साफ़ और कीवर्ड वाला रखें — जैसे:
on-page-seo-chart.webp
उदाहरण: Alt Text को HTML में कैसे लिखें?
<img src="on-page-seo-tips.png" alt="ऑन-पेज SEO टिप्स की लिस्ट हिंदी में" />
इस लाइन का मतलब:
src
में आपकी इमेज का फाइल नाम हैalt
में लिखा टेक्स्ट Google और screen readers को यह समझाने में मदद करता है कि इमेज में क्या है
क्यों सही है?
- टेक्स्ट स्पष्ट है
- हिंदी में है
- कीवर्ड relevant है
- कोई keyword stuffing नहीं की गई
Suggested Tools for Image Optimization:
- TinyPNG / Squoosh – इमेज का साइज कम करने के लिए आसान और फ्री टूल्स, जिससे वेबसाइट की स्पीड तेज़ होती है।
- Screaming Frog / Ahrefs Site Audit – आपकी साइट में कौन-कौन सी इमेज का Alt Text गायब है, यह इन टूल्स से पता चल जाता है।
- Google PageSpeed Insights – बताता है कि आपकी इमेज कितनी optimized हैं और कौन-सी फाइलें साइट को धीमा कर रही हैं।
6. Internal और External Linking क्या होती है? – पूरी गाइड
Internal Linking मतलब आपकी वेबसाइट के एक पेज से दूसरे पेज को जोड़ना, ताकि यूज़र और Google दोनों साइट के अंदर आसानी से घूम सकें।
External Linking मतलब आपकी साइट से किसी भरोसेमंद बाहरी वेबसाइट को लिंक करना, जिससे आपकी जानकारी और ज़्यादा credible लगे।
तुलना से समझिए:
- Internal links आपकी वेबसाइट के अंदर की गलियों जैसे हैं — जो एक दुकान से दूसरी दुकान तक ले जाती हैं।
- External links ऐसे भरोसेमंद पड़ोसियों की तरह हैं, जिनसे आपका भरोसा और reputation बनता है।
SEO और UX में इनका रोल क्या है?
जब आप अपनी साइट के एक पेज को दूसरे पेज से जोड़ते हैं (Internal Linking), तो Google को आपकी वेबसाइट का ढांचा समझने में आसानी होती है — कौन-सा पेज ज़्यादा ज़रूरी है, ये भी पता चलता है।
इससे आपकी साइट जल्दी और अच्छे से Google में index होती है।
वहीं अगर आप किसी भरोसेमंद वेबसाइट की लिंक देते हैं (External Linking), तो Google को ये signal मिलता है कि आपकी जानकारी भरोसे के लायक है।
दोनों तरह की linking से यूज़र को भी साइट पर घूमना आसान लगता है, वो ज़्यादा देर रुकते हैं — जिससे आपकी साइट का performance बेहतर होता है।
Smart Linking Strategy: 7 आसान और ज़रूरी बातें
Internal लिंक डालते समय टेक्स्ट में मतलब हो — जैसे “SEO Guide पढ़ें” ज़्यादा अच्छा है, बजाय “यहाँ क्लिक करें” के।
हर ब्लॉग में कम से कम 3–5 internal links ऐसे जोड़ें जो नेचुरल लगें, ज़बरदस्ती न हों।
ऐसे पेज से लिंक करें जो टॉपिक से सीधा जुड़ा हो — तभी यूज़र को भी समझ आएगा और Google को भी फायदा होगा।
Anchor text में कीवर्ड या उससे मिलते-जुलते शब्द इस्तेमाल करें — ये SEO में मदद करता है।
External लिंक उन्हीं वेबसाइट्स को दें जो भरोसेमंद और जानकारीपूर्ण हों — किसी भी random या spammy साइट से लिंक करने से बचें।
अगर आप external link दे रहे हैं, तो उसमें rel=”noopener noreferrer” या ज़रूरत हो तो nofollow tag का इस्तेमाल ज़रूर करें।
टूटे हुए या पुरानी लिंक से बचें — ऐसे लिंक यूज़र का भरोसा तोड़ते हैं और Google भी इसे पसंद नहीं करता।
उदाहरण (Internal Linking Anchor Text के लिए):
सही तरीका: “On-Page SEO की गहराई में उतरने से पहले, हमारी SEO Beginners Guide ज़रूर पढ़ें — जिससे आपको बेसिक चीज़ें पहले से क्लियर हों।”
क्यों अच्छा है?
- Anchor text में कीवर्ड है
- यूज़र को साफ़ समझ आता है कि लिंक किस बारे में है
- Call-to-action भी है, जो engagement बढ़ाता है
Internal Linking के लिए Suggested Tools:
Ahrefs / Semrush (Site Audit Tool): ये आपकी वेबसाइट को स्कैन करके बताते हैं कि कहां-कहां broken links हैं और कौन-से पेज internal linking से बिल्कुल कटे हुए हैं (orphan pages)।
Screaming Frog: यह दिखाता है कि हर पेज से कितनी internal links जा रही हैं, कौन-कौन से anchor text यूज़ हुए हैं, और linking depth कितनी है।
Google Search Console: यहाँ आपको साफ़-साफ़ दिखता है कि आपके किस पेज पर कितनी internal links हैं — जिससे आप सुधार की planning कर सकते हैं।
7. मोबाइल Friendly साइट और Core Web Vitals क्यों ज़रूरी हैं
मोबाइल फ्रेंडली वेबसाइट का क्या मतलब है?
मोबाइल फ्रेंडली वेबसाइट वो होती है जो मोबाइल पर आसानी से खुल जाए, पढ़ने में आराम दे और इस्तेमाल करने में झंझट न करे — यानी न ज़ूम करना पड़े, न बार-बार इधर-उधर स्क्रॉल करना पड़े।
तुलना से समझिए: जैसे एक संकरी गली में बड़ी कार घुसाना मुश्किल हो जाता है — उसी तरह अगर आपकी वेबसाइट सिर्फ कंप्यूटर के हिसाब से बनी है, तो मोबाइल पर यूज़र को बहुत दिक्कत होगी।
मोबाइल UX क्यों इतना ज़रूरी हो गया है?
आज के समय में 70% से ज़्यादा लोग वेबसाइट्स मोबाइल से खोलते हैं, और भारत में तो ये आंकड़ा और भी ज़्यादा है।
Google अब Mobile-First Indexing यूज़ करता है — यानी आपकी साइट का मोबाइल वर्शन पहले देखा जाता है, उसी के हिसाब से रैंकिंग तय होती है।
अब सिर्फ कंटेंट काफी नहीं, UX और पेज की स्पीड भी रैंकिंग फैक्टर बन चुके हैं। अगर मोबाइल पर वेबसाइट सही से काम नहीं करती, तो Google उसे नीचे कर देता है।
Core Web Vitals: तीन मुख्य तकनीकी संकेतक
ये तीन मेजर metrics हैं जिनसे Google आपकी वेबसाइट के page experience को मापता है:
Metric | मतलब | Ideal Score |
---|---|---|
LCP (Largest Contentful Paint) | पेज का मुख्य कंटेंट कितनी जल्दी दिखता है | ≤ 2.5 सेकंड |
INP (Interaction to Next Paint) | पेज पर क्लिक या स्क्रॉल जैसे इंटरएक्शन का रिस्पॉन्स टाइम | < 200ms |
CLS (Cumulative Layout Shift) | पेज की visual stability — एलिमेंट्स हिलते तो नहीं | < 0.1 |
Google का फोकस क्या है?
“यूज़र को fast, stable और frustration-free experience देना।” Core Web Vitals इसी का technical रूप हैं — और इन्हें ignore करना मतलब ranking, engagement और conversion — तीनों को रिस्क में डालना।
मोबाइल और Web Vitals Optimization Tips:
- Responsive Design अपनाएं (Bootstrap, Tailwind CSS, या AMP)
- Font size, buttons, padding मोबाइल UX के लिए customize करें
- इमेजेज और वीडियो compress करें (WebP preferred)
- Unused JS, CSS हटाएँ — साइट हल्की बनाएं
- Hosting और CDN का उपयोग करें (Cloudflare, LiteSpeed)
- Google PageSpeed Insights से performance रिपोर्ट नियमित देखें
- Google Search Console में ‘Core Web Vitals’ section पर नज़र रखें
Core Web Vitals और Page Experience जांचने के लिए Suggested Tools:
Google PageSpeed Insights – आपकी वेबसाइट की मोबाइल और डेस्कटॉप पर स्पीड कितनी है, कौन-सी चीज़ें slow कर रही हैं — ये सब detail में बताता है।
Lighthouse (Chrome DevTools) – Chrome ब्राउज़र में चलता है और real-time में आपकी साइट की speed, UX, SEO और accessibility का रिपोर्ट देता है।
Google Search Console → Page Experience Report – यहाँ से आप देख सकते हैं कि आपकी साइट के कौन-से पेज Core Web Vitals पर खरे उतर रहे हैं और कौन-से नहीं। साथ ही मोबाइल usability की भी पूरी जानकारी मिलती है।
8. Schema Markup (Structured Data) का महत्व SEO में
Schema Markup क्या होता है?
Schema Markup (या Structured Data) एक तरह का कोड होता है — जैसे JSON-LD — जिसे आप अपने वेबपेज के HTML में लगाते हैं।
इससे Google को यह समझने में मदद मिलती है कि आपका पेज किस टाइप का है — जैसे Article, FAQ, Recipe, Review वगैरह।
तुलना से समझिए: जैसे किसी फाइल का नाम और टैग देखकर हमें समझ आता है कि उसमें क्या है — वैसे ही Schema Google को बताता है कि आपकी वेबसाइट का यह पेज किस बारे में है और उसमें किस तरह की जानकारी दी गई है।
SEO में इसका योगदान क्या है?
ये Google को आपके पेज की जानकारी ज्यादा साफ़ और सही संदर्भ (context) में समझने में मदद करता है।
अगर आपने सही schema लगाया है, तो आपके पेज को Google में rich snippets के रूप में दिखाया जा सकता है — जैसे ⭐ स्टार रेटिंग, FAQs, breadcrumbs वगैरह।
ऐसे snippets से आपकी साइट का CTR (क्लिक-through rate) बढ़ सकता है और सर्च में visibility भी बेहतर होती है।
Google की structured data guidelines भी EEAT को सपोर्ट करती हैं — खासकर तब जब आप लेखक का नाम, तारीख और पेज का type schema में शामिल करते हैं।
Schema जोड़ने के फायदे और टिप्स:
Article Schema से आप अपने पेज का लेखक, टाइटल और पब्लिश डेट Google को साफ़ तरीके से दिखा सकते हैं — जिससे credibility बढ़ती है।
FAQ Schema लगाने से आपकी वेबसाइट का FAQ सेक्शन Google में सीधे snippets के तौर पर दिख सकता है, जिससे क्लिक बढ़ते हैं।
Breadcrumb Schema वेबसाइट के पेजों को एक proper structure देता है — जिससे Google को आपकी साइट समझने और index करने में आसानी होती है।
Schema Markup को JSON-LD फॉर्मेट में जोड़ना सबसे बेहतर होता है — क्योंकि ये HTML से अलग रहता है और साइट को clutter नहीं करता।
ध्यान रहे, जो भी structured data आप schema में डालते हैं, वो पेज पर सच में मौजूद होना चाहिए — वरना Google इसे mismatch मान सकता है।
अगर schema गलत हुआ या बेकार डेटा भरा गया, तो Google manual penalty भी लगा सकता है — इसलिए हमेशा Rich Results Test या Schema Validator से जांच कर लें।
उदाहरण (FAQ Schema in JSON-LD):
{
"@context": "https://schema.org",
"@type": "FAQPage",
"mainEntity": [
{
"@type": "Question",
"name": "On-Page SEO क्या है?",
"acceptedAnswer": {
"@type": "Answer",
"text": "On-Page SEO का मतलब है वेबसाइट के कंटेंट और कोड को इस तरह से ऑप्टिमाइज़ करना कि वह Google और यूज़र दोनों के लिए बेहतर हो — जिससे पेज की रैंकिंग और विज़िटर का अनुभव दोनों सुधर सकें।"
}
},
{
"@type": "Question",
"name": "On-Page SEO में क्या-क्या आता है?",
"acceptedAnswer": {
"@type": "Answer",
"text": "On-Page SEO में Title Tag, Meta Description, Headings, Keywords, Image Alt Text, Internal Linking और Page Speed जैसे सभी पेज के अंदर के एलिमेंट्स को ऑप्टिमाइज़ करना शामिल होता है।"
}
}
]
}
Key Guidelines:
Schema में वही सवाल-जवाब शामिल करें जो पेज पर सच में दिखाई दे रहे हों (on-page parity)।
हर answer को 1–2 पैराग्राफ के भीतर रखें — Google snippet length और clarity के लिए।
यह स्क्रिप्ट
<script type="application/ld+json"> ... </script>
के अंदर आपकी वेबसाइट के<head>
या<body>
में कहीं भी जोड़ी जा सकती है।
Suggested Tools for Schema Validation (Structured Data):
Google Rich Results Test – इससे आप चेक कर सकते हैं कि आपका schema कोड सही लिखा गया है या नहीं, और वो Google के rich results में दिखने के लिए qualify करता है या नहीं।
Schema.org Reference – यहाँ से आप देख सकते हैं कि कौन-कौन से schema types और properties Google officially सपोर्ट करता है — जैसे Article, FAQ, Review, आदि।
Google Search Console → Enhancements Tab – अगर आपकी साइट पर कोई schema लगा है, तो GSC यहाँ उसकी रिपोर्ट दिखाता है — जैसे structured data errors, warnings, और coverage insights।
9. Quality Content Writing + EEAT Alignment कैसे करें
Quality Content Writing का क्या मतलब है?
Google के लिए “Quality Content” का मतलब सिर्फ लंबा लेख या ढेर सारे कीवर्ड्स वाला टेक्स्ट नहीं होता। असली क्वालिटी कंटेंट वो होता है जो पढ़ने वाले के काम आए, उसकी ज़रूरत को समझे और सही जानकारी दे — साफ़, सटीक और भरोसेमंद तरीके से।
तुलना से समझिए: अगर कंटेंट एक टीचर होता, तो अच्छा कंटेंट वो होता जो सिर्फ पढ़ाए नहीं — बल्कि आसान भाषा में समझाए, ज़रूरत पड़ने पर मोटिवेट करे, और पूरे भरोसे के साथ सही दिशा भी दिखाए।
EEAT क्या है और Google के लिए क्यों ज़रूरी है?
EEAT का मतलब होता है — Experience, Expertise, Authoritativeness, Trustworthiness
यानी आपका कंटेंट सिर्फ जानकारी नहीं दे रहा, बल्कि भरोसे के साथ दे रहा है, और सही व्यक्ति या स्रोत से आ रहा है।
1. Experience (अनुभव): क्या जो बात आप बता रहे हैं, वो आपने खुद की है? क्या उसमें आपका अपना real-life अनुभव झलकता है?
2. Expertise (विशेषज्ञता): आप जिस टॉपिक पर लिख रहे हैं, क्या आप उसके जानकार हैं? क्या आपकी बातों में depth और समझ दिख रही है?
3. Authoritativeness (प्रामाणिकता): क्या आपकी साइट या नाम उस विषय से जुड़ा हुआ और मान्यता प्राप्त है? क्या लोग आपकी बातों को serious लेते हैं?
4. Trustworthiness (भरोसा): क्या जो जानकारी दी जा रही है वो सही, पारदर्शी और भरोसेमंद है? क्या उसमें कोई misleading या vague चीज़ नहीं है?
EEAT-अलाइंड कंटेंट बनाने के 7 आसान लेकिन असरदार नियम:
खुद के अनुभव या Case Studies शेयर करें — जैसे आपने SEO में कौन-से tools यूज़ किए, क्या रिज़ल्ट मिला, वो बताएं।
लेखक का छोटा लेकिन साफ़ परिचय ज़रूर दें — जैसे “Shivam Kumar Gupta, SEO Consultant in India” से credibility बनती है।
Content को खुद से और original लिखें — Rephrased या सिर्फ AI-generated टोन से बचें, वरना भरोसा नहीं बनता।
जरूरी जगहों पर internal links दें — इससे आपकी साइट का टॉपिक कवर बढ़ेगा और UX भी smooth रहेगा।
अगर आप कोई आंकड़ा (stat) या फैक्ट दे रहे हैं, तो source या background ज़रूर बताएं — भले ही informal हो।
भाषा को इंसान जैसी रखें, मशीन जैसी नहीं — ऐसा लिखें जैसे आप किसी को समझा रहे हैं, रट नहीं रहे।
Google की Search Quality Rater Guidelines को समझें — खासकर उन टॉपिक्स पर जो YMYL (Your Money or Your Life) से जुड़े हैं, जैसे SEO, हेल्थ या फाइनेंस।
उदाहरण:
“मेरे खुद के एक क्लाइंट के साथ ऐसा हुआ था — मैंने सिर्फ उनके पेज का meta title और headings structure ठीक किया, और सिर्फ 4 हफ्तों में उनकी साइट का CTR लगभग 18% तक बढ़ गया। तब समझ आया कि On-Page SEO की असली ताकत क्या होती है।”
10. Regularly Content Update करना क्यों ज़रूरी है?
Google को ताज़ा और अपडेटेड जानकारी पसंद है — इसलिए ऐसा कंटेंट जो नया और काम का हो, उसे वो रैंकिंग में ऊपर दिखाता है।
जब आप पुराने आर्टिकल्स को अपडेट करते हैं, तो Google उन्हें दोबारा crawl और index करता है — जिससे ट्रैफिक वापस आ सकता है।
नए डेटा, बेहतर UX और fresh examples जोड़ने से आपकी कंटेंट की value बढ़ती है — और Ranking में सुधार आता है।
अगर आप नियमित रूप से अच्छा कंटेंट पब्लिश और अपडेट करते रहते हैं, तो आपकी साइट की topical authority भी मजबूत बनती है।
प्रैक्टिकल सलाह: हर 3–6 महीने में अपनी वेबसाइट के ज़रूरी पेज दोबारा ज़रूर चेक करें — और जो जानकारी पुरानी हो गई हो, उसे सुधारें या अपडेट करें।
उपयोगी Tools और Practical Examples जो आपकी On-Page SEO को बेहतर बनाएं
SEO सिर्फ किताबों में पढ़ने वाली चीज़ नहीं है — ये एकदम प्रैक्टिकल और डेटा पर चलने वाली प्रक्रिया है। खासकर जब बात On-Page SEO की हो, तो आपको सही tools और असली examples की ज़रूरत होती है, ताकि काम जल्दी और सही तरीके से हो सके।
तुलना से समझिए: जैसे एक बढ़ई के पास scale और सही औज़ार हों, तभी वो लकड़ी को ठीक से काट और जोड़ पाता है — वैसे ही एक SEO करने वाले को भी optimization के लिए सही tools चाहिए होते हैं।
Best Free & Paid Tools (हिंदी में समझाया गया):
Tool Name | यह क्या करता है |
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Google Search Console | आपकी वेबसाइट के पेज Google में कैसे index हो रहे हैं, CTR कितना है, और कौन-कौन से errors हैं — यह सब दिखाता है। |
Google Keyword Planner | Hindi में keywords की search volume और competition देखने के लिए best free tool है। |
PageSpeed Insights | आपकी साइट की मोबाइल और डेस्कटॉप स्पीड कितनी है और कहाँ सुधार चाहिए — यह रिपोर्ट देता है। |
Yoast SEO / Rank Math | WordPress यूज़र्स के लिए meta titles, descriptions, keyword placement और readability suggestions देता है। |
Screaming Frog | आपकी पूरी साइट का ऑन-पेज SEO ऑडिट करता है — जैसे URLs, headings, images, meta tags वगैरह। |
Ubersuggest (Neil Patel) | Basic keyword research और content ideas खोजने के लिए आसान और beginner-friendly टूल है। |
Expert Tip:
इन tools का सही फायदा तभी मिलेगा जब आप इन्हें समय-समय पर इस्तेमाल करें, पुराने डेटा से तुलना करें, और हमेशा “Test – Optimize – Repeat” की सोच के साथ काम करें।
Google का algorithm बार-बार बदलता है, लेकिन आपकी SEO strategy ऐसी होनी चाहिए जो हर बदलाव को confidently संभाल सके।
निष्कर्ष: On-Page SEO करना क्यों जरूरी है
आपने समझा कि On-Page SEO सिर्फ keywords भरने की बात नहीं है — ये एक पूरी strategy है जिससे आपकी वेबसाइट Google के लिए आसान, और यूज़र के लिए ज़्यादा उपयोगी बनती है।
चाहे बात हो title और meta tags की, या फिर content structure, image optimization, schema और Core Web Vitals की — हर चीज़ एक signal है, जो Google को बताता है कि आपकी साइट कितनी valuable है।
और जब आप इन सारे signals को अच्छे से optimize करते हैं, तभी आपकी वेबसाइट SEO में सच में आगे निकलती है।
याद रखिए: SEO अब सिर्फ “search engine” के लिए नहीं — बल्कि “search experience” के लिए है।
अब आगे क्या करें?
अब जब आपने On-Page SEO की पूरी समझ हासिल कर ली है, तो अगला कदम है इसे अमल में लाना:
इस गाइड की checklist को अपनी अगली पोस्ट पर तुरंत लागू करें — एक-एक पॉइंट से फर्क पड़ेगा।
Yoast, RankMath या Google Search Console से अपनी साइट का SEO health स्कोर चेक करें — ताकि पता चले कहाँ सुधार की ज़रूरत है।
नया content लिखते समय EEAT को हमेशा ध्यान में रखें — यहीं से trust और authority बनती है।
और सबसे ज़रूरी बात — Google के लिए नहीं, यूज़र के लिए लिखें। अगर यूज़र खुश है, तो algorithm भी खुश रहेगा।
क्या आपके मन में कोई सवाल है?
अगर आपको ये गाइड उपयोगी लगी है, या फिर आप SEO से जुड़ी किसी खास चुनौती में फँसे हैं — तो बेझिझक कमेंट में पूछिए। हम जवाब देने के लिए हमेशा तैयार हैं।
और अगर आप और गहराई में जाना चाहते हैं, तो हमारी ये गाइड्स भी ज़रूर पढ़ें:
- Technical SEO क्या है?
- Keyword Research कैसे करें?
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FAQs On-Page SEO से जुड़े जरूरी सवाल
On-Page SEO वेबसाइट के अंदर की जाने वाली optimization प्रक्रिया है, जैसे कि title, meta tags, headings, URLs, images और content को Google और users के लिए बेहतर बनाना। इसका मुख्य उद्देश्य रैंकिंग और user experience दोनों को सुधारना है।
सबसे आसान तरीका है: एक checklist को follow करना — जिसमें title, meta description, keyword placement, headings structure, alt text और internal links शामिल हों। WordPress users Yoast या Rank Math जैसे plugins से शुरू कर सकते हैं।
हां, हर पेज पर एक ही H1 टैग होना चाहिए, जिसमें पेज का main topic और primary keyword हो। यह SEO और page structure दोनों के लिए जरूरी है।
Meta description सीधे ranking factor नहीं है, लेकिन यह CTR (Click-Through Rate) बढ़ाने में मदद करता है। एक आकर्षक, keyword-rich और user-focused meta description Google snippets में ज्यादा अच्छे से दिखता है।
Alt text Google को यह समझने में मदद करता है कि इमेज में क्या है। यह image SEO, accessibility और overall UX के लिए जरूरी होता है। हर meaningful image में alt attribute जरूर होना चाहिए।
On-Page SEO वेबसाइट के अंदर किए जाने वाले optimization tasks होते हैं — जैसे title tag, headings, content, URL, image alt text आदि। Off-Page SEO में वेबसाइट के बाहर से authority बढ़ाना शामिल होता है — जैसे backlinks, PR mentions, और social sharing।
बिल्कुल नहीं। On-Page SEO में keywords के साथ-साथ content structure, readability, meta tags, internal links, UX signals, और schema markup जैसी चीज़ें भी शामिल होती हैं। SEO सिर्फ keyword stuffing नहीं, बल्कि user-first experience देने का नाम है।

Shivam is an AI SEO Consultant & Growth Strategist with 7+ years of experience in digital marketing. He specializes in technical SEO, prompt engineering for SEO workflows, and scalable organic growth strategies. Shivam has delivered 200+ in-depth audits and led SEO campaigns for 50+ clients across India and globally. His portfolio includes brands like Tata Motors, Bandhan Life, Frozen Dessert Supply, Indovance, UNIQ Supply, and GAB China. He is certified by Google, HubSpot, IIDE Mumbai, & GrowthAcad Pune.